मैथिल हम्मर नाम।
जाहि धाम में राजा जनक'क ,
मैथिली सन संतान।।
धन्यभाग राजा जनक'क जे ,
एहन पाओल संतान।
जिनक कृपा सँ जग भरि में अछि,
मिथिला केर पहचान।।
हुनकर यौवन स्वर्ण अलंकृत,
रुप पुष्प समान।
भँवरा बनि रसपान करs लेल,
आयल विष्णु भगवान।।
तेहन विधना छल लिखल विलक्षण,
जोड़ी बनल महान।
धिया हमर बनली दुल्हिन आ,
स्वयं दुल्हा श्री राम।।
हम मैथिल केर अहोभाग्य ,
श्री राम बनल मेहमान।
भेल कृतार्थ जन्म हमर ई,
पाबि'कs मिथिलाधाम।।
।। जय मिथिला,जय मैथिली।।
- नवल किशोर झा, शिवनगर घाट, दरभंगा ।