डॉ. ब्रह्मानंद झा केर लिखल चुप चुपुआ टाका (घुस).


चुप चुपुआ टाका (घुस)

धन्य धन्य चुप चुपुआ टाका शक्ति आहांक वड़ा अनमोल।।
देश विदेश समूचा पूजित चुपचुपुआ देवता महान
सरकारी वा अन्यो सेवक सवके छैन्ह हिनके पर ध्यान
प्रथम जेवि स द्वितीय जेवि तक यात्रा हिनकर चुपे चाप
जे नहि चुप चुपुआ केर पुछथि अधिक करथि ओ वाप रे वाप
क्यो पूजथि ब्रत निराहार क क्यो पूजा मे गोल मटोल
धन्य धन्य चुपचुपुआ टाका शक्ति आहांक वड़ा अनमोल।।१।।
जे कार्य चिर निद्रा सुतल दवल सड़थि ओ कागजक कोड़
दौड़ैत दौड़ैत मोन थकावथि दर्द देह मे पोरे पोर
जो किछु अधिकारी लग विनती किछु किछु कहि ओ देता टारि
पैरवी पुर्जी ल जों पहुंचू ठोश वहानाक धरता डारि
क्षणहि समाधान चुपचुपूआ निकलय जेविक खोल
धन्य धन्य चुपचुपुआ टाका शक्ति आहांक वड़ा अनमोल।।२।।
सत्य असत्यक पाशा पलटय निर्दोषी दोषी केर जीत
पकड़ धकड़ नौवत पड़ला पर गाऊ चुपचुपुआ केर गीत
सेवा शिक्षा भीषण कार्य सव ठां अछि चुपचुपुआ राज
मानवता पैरवी खत्ता मे सत्तो पर अछि हुनके ताज
पूल वनल छथि रक्षा धारक नोछरै छथि ओ नई केर लोल
धन्य धन्य चुपचुपुआ टाका शक्ति आहांक वड़ा अनमोल।।३।।
अछि भारत में सौसे पसरल मानव मंदिर छोट विशाल
ई देव जागन्त वहुत सुनथि विस्तृत लघु करुण हाल
सर्वास्त्र श्रेष्ठ चुपचुपुआ टाका तेज धार अरु वेग प्रचंड
निष्फल नहि ई होथि कतऊ काटथी नई केर खंडक खण्ड
तै मानव प्रिय जेवि विराजथि उंचे चढ़ि चढ़ि करथि ठिठोल
धन्य धन्य चुपचुपुआ टाका शक्ति आहांक वड़ा अनमोल।।४।।
दोष मनुष्ये टा में नहि अछि देवि देव गण सेहो प्रवीण
क्यो पूजा क्यो छागर कवुलथि क्यो मिठाई क्यो भोग नवीन
वर्षक वर्ष तपश्या कयलैन्ह ऋषि वीर मानव दानव
तखन प्रगट वरदान देथि तप सिद्धि भेल पुनि नहि ठानव
पूर्व प्रथा अछि दक्ष वनल सर्वत्र हिनक छैन्ह वड़ा वोल
धन्य धन्य चुपचुपुआ टाका शक्ति आहांक वड़ा अनमोल।।५।।

डॉ. ब्रह्मानन्द झा
सौराठ,मधुबनी बिहार.

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