मिथिलाक प्रसिद्ध पाबैन खाश क नव विवाहिताक लेल कोजगरा ओहि अवसर पर श्री मणिकांत झा द्वारा रचल सुन्ददर सन कविता, आइ शरद पूर्णिमा थिक संपूर्ण मिथिला मे कोजागरा पाबनि मनौल जा रहल अछि अजुका दिन पान आ मखान खयबाक परंपरा अछि ।


आइ शरद पूर्णिमा थिक । संपूर्ण मिथिला मे कोजागरा पाबनि मनौल जा रहल छि । अजुका दिन पान आ मखान खयबाक परंपरा अछि ।
गाम गाम मे आइ वर सबके चुमौनआ मखान बँटेबाक अनघोल । आउ प्रस्तुत करी एकटा तप्पत रचना ।
कोजागरा
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मिथिलाक घर घर मे पूर्णिमाक अवसर मे भ’ रहलै आइ चुमान
सगरे बंटा रहल देखू मखान- २
शरद ऋतु केर पूनम चाने
अनुपम लागय आजु सोहाने 
भरि गामक भेलइ जुटान
सगरे बंटा रहल देखू मखान ।
बेटी बला सब पठौलनि भाड़े
बेटा बला सबके चिक्का छनि पारे
समधिक छाती उतान
सगरे बंटा रहल देखू मखान ।
सब आँगन चलि रहल कौड़ी पचीसी
भौजीक दांत देखू निकलल बतीसी
की बच्चा बूढ़ आ जवान
सगरे बंटा रहल देखू मखान ।
आँजुर आँजुर मेवा बतासा
बाजि रहल ढोलक झालि संग तासा
मणिकांतक मुँह लाल पान 
सगरे बंटा रहल देखू मखान ।
             - मणिकांत झा , दरभंगा ।
                       १५-१०-१६
                         कोजागरा ।

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