अगस्ति'क तर्पण (बीहनि कथा) - वी०सी०झा "बमबम"

~ कि यउ लाल बाबू कि हाल समाचार ?
~ सब ठीके - ठाक ! बस कोना ना चलि रहल छय अपन - - - - -

~ एखन धड़ि दनाने पर बैसल छी ? आब चलू ने !
~ तखन कि करब यउ बैसल नहि रहब तऽ कोनो अहाँ जकाँ हमरा हाय - हुत्ती धेने अछि कि ? आ जायब कतय ? सेहो अाहां संग !

~  हयउ आय अगस्त मुनि के तर्पण छियैन ने त चलबय ने आब !
~ अगस्त मुनि के तर्पण छियैन कि नहि ताहि स हमरा कि ? जांउ छियैन्हे तऽ , हम कतय जायब ?

~ पोखड़ि यउ ! अगस्त मुनि के जल देवऽ के लेल !
~ हम हुनका जल देवनि सेहो पोखड़िक घिनेलहा पानि ? किआ हुनका अपना कोनो जल लेवा मे दिक्कत होइत छैन्ह से अहाँ कऽ समाद देने रहथि कि ?

~ हयउ लालबाबू अहुं जेना एहि समाजक लोके ने रहि तेहने गप करैत छी ! सब साल एहि तिथि के  लोक पोखड़ि - नद संऽ हुनका अंजली दैत छैन्ह !
~ एं यउ लोक जे हुनका अंजली देतनि से बूड़िये ने होयत ! कहाँदनि ओ आतापी - वातापी सन बली कऽ भक्ष कऽ समूद्र कैंऽ आंजूर मे उठा पिव गेल रहथि ! तिनका अहां आहाँ एक ठोप पोखड़िक जल आ दू टा दाना तील देवनि , एहनो क्षुद्रता होय कहुं ?

~ हुनका कतेक संऽ त्रिप्ती हेतनि ताहि संऽ कि ? अपन सबहक जे परंपरा भऽ एलय तकर ने निर्वाह हम अहाँ करब यउ लाल बाबू !
~ हम एहन फुसि'क परंपरा केंऽ मानितहि नहि छी तखन निर्वाह करवाक कोन गप्प ? आब अहिं संऽ हम पुछैत छी : अहाँ पाँच सैय रसगुल्ला खाय बला लोक छी अहाँ के कियो नोत दय एक टा रसगुल्ला आगू कऽ दय दिऽ आ कहय जे भ गेल आब जाउ तखन केहन मोन होयत से कहु ?

(  बेचारे चूप चाप पोखड़ि दिस विदा भऽ गेलाह बिन किछु जवाव देने )

   वी०सी०झा"बमबम"
                                 कैथिनियाँ

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ