राक्षवन्धन पर रचित सुंदर सन कविता श्री मणिकांत झा द्वारा.

रक्षा बंधन
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भइया के हाथ पर सुत बान्हल बहिना
पंडितजी बान्हथि जजमान के जहिना ।
सौन मास आबय सलौनी के पूनम
राखी पाबनि संग समपन्न झूलन
रक्षाक ताग सँ सजल हाथ दहिना
पंडितजी बान्हथि जजमान के जहिना ।
येन बद्धो बली राजा सब क्यो जानय
दान वेन्द्रो महाबल: सेहो सब मानय
तेनत्वां प्रति बधनां मंत्र छै पुरना
पंडितजी बान्हथि जजमान के जहिना ।
सजल धजल बहिन दाइ हाथ लेने आरती
स्वेता सुनीता जागृति भारती
सब मिलि गाबि रहल गीत संग वन्दना
पंडितजी बान्हथि जजमान के जहिना ।
भाइ बंधु इष्ट मित्र संकल्प लेलनि
बहिनिक रक्षा हेतु वीर रूप धेलनि
मणिकांत मानय जे सुंदर छै विध ना
पंडितजी बान्हथि जजमान के जहिना ।।
     मणिकांत झा , दरभंगा
        श्रावण पूर्णिमा ।
          १८-०८-२०१६ ।

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