मिस्त्री (बिहनि प्रेम कथा) - वी०सी०झा"बमबम"

इस्कूल संऽ जाइत - अबैत काल छौंड़ा'क सब दिन साईकिल'क चेन उतरि जाइत छलैक ! झूठ आ सत्त से नहि कहि मूदा बेर - बेर उतरि कऽ चेन चढ़बय'क प्रयत्न करैत रहैत छल ! ओहो दिन ओहिना - - - -

परंच आय ओकरा काजल पूछि देलकइ आंय रउ तोहर साईकिल पछिला दू मास संऽ खराब छउ ओकरा तों ठीक किआ ने करबय छहि ?

~ गऽई ठीक तऽ हमरो मोन होइत अछि जे करा ली मूदा - - -

~ मिस्त्री नहि देखल छहु ?

~ मिस्त्री देखलो अछि चिन्हतहु छियहि आ सब दिन भेटतहु अछि !

~ तखन कोन दिक्कत छउ तोरा ?

~ दिक्कत इहय जे मिस्त्री के कहवाक साधंस नहि होयत अछि !

~ हे ले तूं तऽ अजबे लोक छंऽ रउ ! जखन कहबे नहि करबहि तखन ठीक केना हेतहु ?

~ गऽई डर होइत अछि कहि मिस्त्री कऽ कहबैक आ ओ ठीको नहि कऽ दियै आ घर पर उपरागो दऽ दिय !

~ धूरऽऽ एहनो भेलहि हं कि  ? तूं एक बेर कहि कऽ त देखहि पहिने !

~ आ बुझि लहि जे जाँउ मिस्त्र नहि कहलकहु तखन !

~ तखन कि ? तूं एक बेर कहि कऽ त देखहि !

~ सैह ने ?

~ कतेक बेर कहियौक ?

~ एकर मिस्त्री तूंहि छहि !

~ आंय ! हम एकर मिस्त्री - - - -

~ हं गऽई ! इ तोरहि द्वारे उतरैत छलहि , तोहर एकटा हं एकरा ठीक कऽ देतहि , आ तूं एकरा ठीक करबहि तखने टा ठीक हेतहि ! नहि तऽ - -

~ नहि तऽ कि ? से तऽ तोरा हम जखन पहिनहि कहि देने छियहु हं तखन फेर कि !

 ~ फेर आब चेन नहि उतरतहि !

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