
लाज करैत जं बात जे करबै , निरलज हम करबे करब
आंखि नुका कए जौं अहां देखब, नैनक ताप सहबे करब ।
सखी बहिनपा संग चोरबा नुक्की, खेलैत काया कितकित
एना करब जं सदिखन खेला, प्रेमक खिस्सा कहबे करब ।
कोमल अंगसं फ़ुटैत तरेगन, करेज इजोरिया भेल दपदप
नैसर्गिक सौन्द्रर्य देखि कए, गजलक पाति लिखबे करब ।
मधुर भाव के गाम बनल जौं, रचनाक मन मचान बनत
आसीन भए शान्त -प्रान्त में, सुन्नर दृश्य देखबे करब ।
---------------------------भास्कर झा 04/05/2012
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