गजल-जगदानंद झा 'मनु'

करेज में बसा कs कनी हमरो तs पिआर करु
ओहि काबिल तs छी अहाँ हमरा सँ दुलार करु

छोरि एलहुँ जग में अहाँ केँ खातिर सब किछ
आब अहाँ केँ ऊपर अछि कि अहाँ स्वीकार करु

हमरो तs मोनमे अछि कि कियो अपना मानए
दुनिआ में कियो तs होई जेकरा सँ पिआर करु

हम सिखलौं दुनिआ में पिआर केनाई सब सँ
नहि सिखलौं पिआर में हम कोना बेपार करु

नै कियो समझलक, नै केकरो हम समझलौं
एहि दुनिआ में पिआर केकरा सँ उधार करु

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१८)
***जगदानन्द झा 'मनु'

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