सोझ बाट पर चलैत-चलैत (दीर्घ कविता)

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सोझ बाट पर चलैत-चलैत

पहुँचि जाइत छी

अक्का दारूण बनमे

अनचिन्हार लक्ष्यक संग

नहि भेटैत अछी अपेक्षित लक्ष्य

बी.बी.सी सुनला उतरो

प्रतियोगिता किरण पठलों सन्ता

नहि भए पबैत छी कोनो सरकारी चपरासी

मानलहुँ

कननाइ कोनो समस्याक समाधान नहि

मुदा हँसनाइए कोन

समस्याक समाधान छैक ?

मजबूरीमे बौक जकाँ चुप्प रहनाइ

नियति बनि गेल छैक लोकक

टाट खरहीक हो की सीसाक

ओ मात्र टाटे होइए

ओकर काजे छैक सीमा निर्धारण

इ गप्प भिन्न जे सीसाक आर-पार देखाएत

इहो गप्प भिन्न जे टाटकेँ काटि हाथ मिला सकैत छी

मुदा

भावनाक आदान-प्रदान केनाइ

ओतबए संभव छैक

जतेक की बड़दक दूधसँ खीर बनेनाइ

देहक हाड़-पाँजर फाटि रहल

बाँसक गीरह जेना

पाकल बाँस भने नहि होइ

मुदा काँचो नहि छी

बेछील्ले बाँस करए बला बेसी अछी

बाँसक अनुपातमे

लोक गनगुआरि वा सहस्त्रबाहु हुअए

की नहि हुअए

मुदा काज सुतारबाक लेल

हजार-हजार टा हाथ-पएर भए जाइत छैक

आ हरेकक आँगुरमे बान्हल रहैत छैक

स्वचालित पिस्तौल



गोली लोक छाती पर नहि

पीठ पर खाइए

सोझ बाट पर चलैत-चलैत



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सोझ बाट पर चलबासँ पहिने

कए लिअ अपन टाँगकेँ टेढ़

कारण

सोझ टाँगे सोझ बाट पर चलब

केखनो नीक नहि

ठीक नहि

आ अहाँ जखन देखिए रहल छीऐक जे

नेङरा सभ दौड़मे प्रथम स्थान लेलकै

तखन हमर सलाह पर

आपत्तिक कोनो प्रश्ने नहि

सभ लोक बामने टा

बनबाक जोगारमे

उगह चान की लपकह पूआ

केर जाप करैत हरेक मनुख

जोहि रहल अछी बाट

अर्ध-सत्यक

अधभूखल रहबासँ बेसी दुखदायी अछी

अधनङनटे रहब

दूभि खेनिहार बकरी भोगि रहल अछी जाबी

आ शेर खा रहल

जिंदा मासु

अधपहरा आ अधकपारीक संयोगसँ

जन्मल छी हम

अर्धमनुख

क्षणिक शांति लेल

दीर्घ आशांतिक निर्माण करब

एहिसँ बड़का छल कोनो नहि

भेड़िया-धसाना होइत संसदमे

पूर्वज आ वंशज

इएह दूनू देखाएत

आम कार्यकर्ता आब नहि बनि

पाओत कोनो

मंत्री

प्रधानमंत्री

राष्ट्रपति

टुटलो हथिसार नौ घरक साङह

होइत छैक

हमरा नहि संदेह एहि पर

संदेह तँ अछी हाथीक बल पर

जे आब एक बेरमे

एक टन खाओ लेला पर

एकै मिनटमे हकमि जाइत अछी

ओना हकमैए तँ कूकूरो

मुदा इ ओकर

जन्मजात गुण छैक

आ बड़दक ?

खटनाइ सएह ने

चलू सहमत छी हम अहाँक गप्पसँ

सोझ बाट पर चलैत-चलैत



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सोझ बाट पर चलैत-चलैत

अहाँ

इ नहि बुझि सकैत छीऐक जे

छोट-छोट गप्प

पैघ कोना भए जाइत छैक

अहाँ

इहो नहि बुझि रहल छीऐक जे

एक किलो तूर कोना बदलि जाइत छैक

पहाड़क रुपेँ

सोझ बाट पर चलैत-चलैत

अहाँ

इहो नहि बुझि पबैत छीऐक जे

कोना लाशक नाम पर

बैंक-बेलैंस

बढ़ि जाइत छैक

जीति जाइत छैक नेता कोना

लाखक-लाख भोटसँ

अहाँकेँ इहो नहि बूझल हएत जे

मनुखक आत्मा

मरलैए नहि

मारल गेलैए

बम आ गोलीक सहारासँ

लोकसँ

धूनि नहि फटि पबैत छैक

मुदा

लोककेँ छाती महँक दूध

फाड़ए अबैत छैक

येन-केन-प्रकारेण अम्मत घोरि कए

एहन परिस्थितिमे जखन की

धनिकक बच्चा बड्ड जल्दी जबान होइत छैक

कामशास्त्र आ कोक शास्त्रक

कतेक महत्व छैक

से नहि बूझि पेबैक

प्रतिघंटामे कतेक बच्चा होइत छैक

तकर आकँड़ा लेब अहाँक लेल

असंभव नहि

मुदा

प्रति सेकेण्डमे कतेक कंडोम

बिकाइत छैक तकर थाह अहाँकेँ नहि लागत

अहाँकेँ इहो थाह नहि लागत जे

खाली समयकेँ कटबाक लेल

कतेक युवा

कतेक मिनटमे

कतेक बेर वीर्यपात करैत छैक

कतेक अभिसारिका

अभिसार करैत छथि

गुरुजनसँ चोरा कए

एकरो थाह नहि लागत अहाँकेँ

सोझ बाट पर चलैत-चलैत



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सोझ बाट पर चलैत-चलैत

छटपटाइत अछी

कटल मुर्गी जकाँ

जखन ओकरा बुझाइत छैक जे

हम कोनो राकसक फेरमे छी

छटपटाइत-छटपटाइत



दैए चकभाउर

मोने-मोन जपैए सावित्री मंत्र

पढ़ैए हनुमान चलीसा

मुदा काज नहि अबैत छैक इ सभ

आ बेहोस भए जाइत छैक अंतमे

भोरक पहिल पहरमे निन्न

खुलला पर मोन पड़ैत छैक

जे पीने छलहुँ शराब भ्रमक भरिपोख

आ निकलि पड़ल छलहुँ

बजारमे

उत्तर आधुनिकता आ भूमंडलीकरणक संग

ग्लोबल विलेजक निर्माण करबाक लेल

इ सभ मोन पड़ैत छैक

सोझ बाट पर चलैत-चलैत



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सुतबाक लेल नहि

जगबाक लेल खाइत छी निन्नक गोली

आ जखन जगले-जागल देखैत छी जे

वास्तवमे

कोनो अंतर नहि होइत छैक

सरकारक कागती विकास आ

साहित्यकारक कागती प्रगतिशीलतामे

तखन

हमर पएर तरसँ

बिला जाइत अछी रमणगर सोझ बाट

मायावी राक्षस जकाँ

आ खसैत छी हम यथार्थक पतालमे

छद्मक घोघ तर

मनुख कतेक सुन्नरि होइत छैक

एकर आकलन कोनो सौंदर्यशास्त्री नहि कए पौताह

मुदा कतेक करूप होइत छैक

मनुख छद्मक आवरणमे

तकर निर्धारण जानवर

तुरंत कए देत

सोझ बाट पर चलैत-चलैत



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सोझ बाट पर बनल एकटा घरक

हरेक कोड़ो-बातीमे

लटकल छैक

बादुर

सन्हिआएल छैक करैत

घरमे राखल दाना-दाना पर

लिखल छैक

प्रेतक नाम

दाना-दानामे छैक

शोणितक सुआद

ओहि घरमे बसैत छैक

डाइन

जे डनिपन सिखबाक लेल

दए देलकै बलि

अपन पूत-भतार

देआद

सर-समांगकेँ

हरेक अधरतिआमे

नङटे नचैत अछी डनियाँ

हरेक राग-रागिनीक लय ओ ताल पर

केखनो ओ गाबए लगैत अछी

प्रखर सेक्युलर राग

तँ केखनो

अंधराष्ट्रवाद रागिनी

आ नचबाक लेल बाध्य कइए दैत छैक ओ

सभ भूत-प्रेत-बैतालकेँ

एहि राग-रागिनीक लय-ताल पर

नहि समता कए सकताह नटराज

एहि नाचसँ अपन नाचकेँ

उचित छन्हि हुनका जे

ओ छोड़ि देथु अपन पदवी

नटराजक

सोझ बाट पर चलैत-चलैत

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बाट आ बाट नहि रहल

भने ओ सोझ हुअए की टेढ़

बनि गेलैक ओ राजगद्दी

बटोहिओ आब बटोही नहि रहल

भने ओ अहदी हुअए की कमासुत

बनि गेल ओ राजा

प्रजा नहि छैक

एहि सोझ बाटक नगरीमे

सभहँक पोनमे छैक लस्सा लागल

जाहिमे सटल छैक कुर्सी

मुदा एकटा गप्प बुझबै

हरेक कुर्सीमे

पोसा रहल छैक धामन साँप

बस देरी छैक

मात्र

गुदा मार्ग द्वारा

मगजमे घुसबाक

जे काज गहुमन आ नाग नहि कए सकल

से इ बिखहीन धामन देखाओत

ओना बिखहीन हुअए की बिखाह

साँप अंततः साँपे होइत छैक

से हमरा बुझा रहल अछी

सोझ बाट पर चलैत-चलैत

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