गजल@प्रभात राय भट्ट

              गजल:-
एकटा स्वपनपरी हाथ लेने गुलाब छै
चन्द्रमा सन मुह पर लगौने नकाब छै
 
रौशनी नुकाबी से नकाबक ऑकाद कहाँ 
पारदर्शी चेहरा पर धेन आफताब छै
 
बिजलीक छटा सावन भादवक घटा छै
सोरह वसंतक जोवन पिने सराब छै
 
मदिरा में कहाँ जे हुनक अधर में मात
मातल जोवन रस छलकौने सराब छै
 
हुनक नयन मातली लगैछ मधुशाला
ठोरक पियाला में ओ जाम धेन वेताब छै
 
जाम पिबैलेल कतेको दीवाना बेहाल छै
रोमियो मजनू सब हाथ लेने गुलाब छै
 
हुनक जोवंक महफिल राग सजल छै
ओ श्रिंगार रासक गजल नेने किताब छै
..................वर्ण १६ ....................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

Post a Comment

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

और नया पुराने