टीस उठैए करेज में कोना कहु बितैए की
कोन लगन लगेलौं अहाँ सँ याद अबैए की
जतय देखु जिम्हर देखु अहाँ कए देखै छी
कोना बितत दिन-राति कोना कय बितैए की
रहि-रहि याद अहाँ के हमरा बड आबैए
कि करू कोना करू आब अहुँ के सताबैए की
प्रियतम मनु के किएक इना तरपाबै छी
मोन में लहर उठल से अहुँ के लगैए की
***
कोन लगन लगेलौं अहाँ सँ याद अबैए की
जतय देखु जिम्हर देखु अहाँ कए देखै छी
कोना बितत दिन-राति कोना कय बितैए की
रहि-रहि याद अहाँ के हमरा बड आबैए
कि करू कोना करू आब अहुँ के सताबैए की
प्रियतम मनु के किएक इना तरपाबै छी
मोन में लहर उठल से अहुँ के लगैए की
***
एक टिप्पणी भेजें
मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।