गजल- जगदानंद झा 'मनु'

टीस उठैए करेज में कोना कहु बितैए की
कोन लगन लगेलौं अहाँ सँ याद अबैए की

जतय देखु जिम्हर देखु अहाँ कए देखै छी
कोना बितत दिन-राति कोना कय बितैए की

रहि-रहि याद अहाँ के हमरा बड आबैए
कि करू कोना करू आब अहुँ के सताबैए की

प्रियतम मनु के किएक इना तरपाबै छी
मोन में लहर उठल से अहुँ के लगैए की
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