मोनक बतिया लिखैछी पतिया
प्यास मिलनके बड़ा रे सताबे
रही रही अहांक इयाद आबे
विरहिन बनल हम जिबैतछी कलेशमें
एसगर कोना अहां रहैतछी पिया परदेशमे // १
गाम आबू ने सजना हमर सिनेहिया
एसगर छोइड गेलौं किये निरमोहिया
हमर हिया फटेय अहां लय पिया
अहां बिनु लागे ने कखनो हमर जिया
सेज पैर सुतैत हमर आंगी फटेय
अन्न पईन किछु निक ने लगैय // २
सास बुझैय हमरा बाझिन
नन्दी कहैय हाकिन डाकिन
जिनगी भेल अछि हमर पहार सजना
लागे अहां बिनु सैद्खन अन्हार सजना
अहिं कहू यौ सजना कोना खिल्तैय अंगना
अहां बिनु कोना किल्क्तैय अंगनामें ललना // ३
किलका खेलाबैय हमर संगी सखिया
हम गोदमे किलका खेलेबैय कहिया
गाम अबियौ मनसा पुर्बियौ पिया
हमर हिया फटेय मों काटे अहुरिया
गाम आबिजाऊ भेटैत हमर पतिया
आब नै सताबू पिया परदेसीया // ४
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
neek rachna
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें
मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।