गाम आबि जाउ

बसंतक आगमन भेल अछि ,
धानक सीस जेना आमक मज्जर ,
फगुआ सेहो लकचियागेल ,
हम त कहब !!!
अहि बेर छुट्टीमे गाम आबि जाउ ,
दालान पर कोटपिस आ २८ खेलब ,
आ संगे मालदह आ किसुन्भोग क स्वाद ,
सहर मैं त कारबिदेक गंद सुन संतोस कर परत ,
आ बिसेस इ जे !!!!!!
कनिया काकी बाट तकैत तकैत नोरा गेली ,
तैं गाम आबी जाऊ !!!!!!!
***स स्नेह .....विकाश झा **

1 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. विकाशजी,

    मैथिल आर मिथिला ब्लॉग परिवारमें अपनेक स्वागत अछि!

    अपनेक रचना "गाम आबी जाऊ" सच में गामक मोंन परे देलक... आशा करे छी एहि तरहक निक - निक रचना हमरा सभ के निरंतर पढबाक लेल मीलत....

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