गजल

हमर ठोर पर बस अहिंक नाम
चारू पहर बस अहिंक नाम


लोक मरैए अहाँक रूप देखि
सुन्दरताक जहर बस अहिंक नाम


किछु नहि बचल हमरा लग
तएँ सगरो उमर बस अहिंक नाम

नीक लगैए इ दुखक गाम हमरा
सुखक नगर बस अहिंक नाम


मोनक उत्फाल करेजक बिहाड़ि
आँखिक भमर बस अहिंक नाम

2 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. पुरना घामे नवका टीस द' देलहुँ।

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  2. वाह ... बहुत सुन्दर कविता मन को भावुक कर दिया आभार / शुभ कामनाएं

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