गाम उजैनी। गहिल माताक भगतिन मोतीदाइ। मोतीदाइ जाितक रजक। एक िदनक गप, बाड़ीमे
गोबर पािथ रहल छलीह मोतीदाइ। गुअरटोलीक जनानी सभ हुनका देिख कऽ बाजल।
-अपन माल-जाल भगाऊ नहि तँ सभटा माल-जाल बिसखि जाएत, बाँझ भऽ जाएत; जेना ई मोतीदाइ अछि।
मोतीदाइ दुखसँ भरि गेलीह। गहिल माताक गहमर गेलीह, पीड़ी खोदऽ लगलीह। गहिल माता प्रगट
भेलीह।
-ठीक छै। हम इन्द्रक दरबार जएब आ अहाँ लेल बच्चा माँगब।
इन्द्रक दरबार। गहिल माता अपन भगतिन लेल बच्चा मँगलन्हि।
इन्द्र िहसाब लगेलन्हि।
-पूर्व जन्मक फल छै। ओकरा बच्चा नहि िलखल छै।
गहिल माता घुरलीह। मोतीदाइकेँ ई सभ कहलन्हि।
-आह! तखन हमर जीवन िनरथर्क अछि। एहिसँ तँ मरबे नीक।
मरबाक सूरसार शुरू केलन्हि मोतीदाइ।
गहिल माता फेर इन्द्र लग गेलीह। सभटा गप कहलन्हि।
-ठीक छै। बच्चा तँ होएतन्हि मोतीदाइकेँ मुदा छठिहारी िदन ओ मरि जएतन्हि।
सैह भेल। छठिहारी िदन बच्चा मरि गेल। बाँझ होएबाक दुख मुदा खतम भेलन्हि। गहिल माताक
भगता ओ खेलाए लगलीह।
bahut nik lagal ee lok katha.
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