जंगल दिस !- रूपेश कुमार झा 'त्योंथ'

कम नहि, लागल छल भीड़ बेस
सूर्य उगल, फाटल कुहेस
तरुणी-तरुणक एकटा जोड़ा
घूमि रहल छल गुफा एलोड़ा
चश्मा साजल दुनू केर माथ
रखने एक दोसरक हाथ मे हाथ
हिप्पी देखि लागल तरुण अपाटक
जूता छलैक फोरेन हाटक
जिंस लगौने आओर टी शर्ट
देखि मोन कहलक बी एलर्ट
तरुणीक केश बॉब कटक
खाइत चलैत छल चटक-मटक
बढ़ैत चलि जाइत छल सीना तनने
तरुण प्रेमीक संग गप्प लड़ौने
तरुणी देह पर छलैक वस्त्र कम
तकर ने छलैक ओकरा गम
चलैत-चलैत भेल ठाढ़ दुनू
मोने सोचल एना लोक चलैछ कुनू
धेलक एक दोसर केँ भरि पाँज
देखि कऽ हमरा भऽ गेल लाज
मुँह घुमा पुछलियैक-जेबऽ कोन दिस
बाजल दुनू एक संग-जंगल दिस!

5 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. मुँह घुमा पुछलियैक-जेबऽ कोन दिस
    बाजल दुनू एक संग-जंगल दिस!
    निक्

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  2. कम नहि, लागल छल भीड़ बेस
    सूर्य उगल, फाटल कुहेस
    तरुणी-तरुणक एकटा जोड़ा
    घूमि रहल छल गुफा एलोड़ा
    चश्मा साजल दुनू केर माथ
    रखने एक दोसरक हाथ मे हाथ
    हिप्पी देखि लागल तरुण अपाटक
    जूता छलैक फोरेन हाटक
    जिंस लगौने आओर टी शर्ट
    देखि मोन कहलक बी एलर्ट
    तरुणीक केश बॉब कटक
    खाइत चलैत छल चटक-मटक
    बढ़ैत चलि जाइत छल सीना तनने
    तरुण प्रेमीक संग गप्प लड़ौने
    तरुणी देह पर छलैक वस्त्र कम
    तकर ने छलैक ओकरा गम
    चलैत-चलैत भेल ठाढ़ दुनू
    मोने सोचल एना लोक चलैछ कुनू
    धेलक एक दोसर केँ भरि पाँज
    देखि कऽ हमरा भऽ गेल लाज
    मुँह घुमा पुछलियैक-जेबऽ कोन दिस
    बाजल दुनू एक संग-जंगल दिस!

    bah, rang aani delahu

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