हर आ’ बरद

मोन गेल भोथियायल,
जोति बरद सोचिमे पड़लहुँ,
एतय-ओतय केर बात,
हर जोतने भेल साँझ,
हरायल बरद ताकी चारू कात।
कहबय ककरा ई गप्प,
सुनि हँसत हमरा पर आइ,
मोने अछि भोथियायल,
अप्पन सप्पत कहय छी भाय।

8 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. मोन गेल भोथियायल,
    जोति बरद सोचिमे पड़लहुँ,
    एतय-ओतय केर बात,
    हर जोतने भेल साँझ,
    हरायल बरद ताकी चारू कात।
    कहबय ककरा ई गप्प,
    सुनि हँसत हमरा पर आइ,
    मोने अछि भोथियायल,
    अप्पन सप्पत कहय छी भाय।

    badd nik lagal, har jotait jotait barad hara gel,

    जवाब देंहटाएं
  2. hamro mon bhothiyayal achhi, har jotait kal barad harebak varnan samichin

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत निक प्रस्तुति

    अहिना लिखैत रहू आ मिथिला के नाम रोशन करैत रहू !

    जवाब देंहटाएं

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