मोन पौडेत ऐच्छ कलम गाछी

मोन पौडेत ऐच्छ,
आम के कलम,
ओग्रैये छलौं ,
दिन - राईत,
नहिं आब रहलौं,
हम गाम के,
नहिं आब औ ,
गाछ छईथ ॥

सोन्हा-बेलवा, मालदा -कलकतिया,
सिन्दुरिया आ कृष्न्भोग,
कीछ सुखायल , किछ मुर्झायल,
सब गाछ में लागल रोग॥

हमरा मोन ऐच्छ नीक जकाँ,
आम गाछ मजरल जहाँ,
पटिया गेरुआ ल सब भागल गाछी ,
गाम पर रुकल कियो कहाँ ॥

फेर त कियो टिकुला बीछैत,
कियो जोगाड़ में गोपी के,
आन्हर बीहैएर में कियो गमछा भैरेय,
कियऊ मोटरी बनाबे धोती के॥

खट्टा चटनी कुच्चा अचार,
त कियो बेहाल ऐच्छ अम्मत्त में,
आब त गाछी सुनसान पडल ऐच्छ,
जेना ठाढ़ छी मरघट में...




सत्ते हमरा त गाम के कलम-गाछी बड मोन पदैत ऐच्छ, आ अहाँ के

एही चिट्ठा पर हमर अगला पन्ना : सब ठाम रहैत छाईथ एक टा कट्ठ्पिंगल...



8 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. श्रीमान

    अपने के कविता (मोन पौडेत ऐच्छ कलम गाछी) कलम गाछी के याद कs ताज़ा करैत ह्रदय कय छुई गेल उम्मीद करेत छलो अपने के कलम स और कविता पढाई लय मिलत अति सुन्दर अहिना लिखैत रहू !

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  2. बहुत निक कविता अछि अजय जी अहिना मैथिली आर मिथिला के प्रति लिखैत रहू !अपने के कविता काविले तारीफ अछि !!

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  3. ahan dunu gote ke bahut bahut dhanyavaad. ham koshish mein chhee je jaldiye aar kich ahan sab ke lel prastut karab.

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  4. भैया प्रणाम

    अपने'क सरल शब्द सं सुसोभित कविता (मोन पौडेत ऐच्छ कलम गाछी) सच - मूच मए हमर ह्रदय कस भेद देलक, अपने'क कविता पढैत-पढैत हम बीतल समय के स्मरण में लिन भो गेलो ! ओहो एक समय छले जै समय मए हम सब कलम गाछी ओग्रैत रही ओ गाछी के बास सं बनल पेंगा झुला आहा जा तक जिब मोन रहत, अपन गाछी के सोन्हा-बेलवा, मालदा -कलकतिया,
    सिन्दुरिया आ कृष्न्भोग आम सब के तय बाते किछ और छले आब नै ओ गाछी अछि नै ओ सोन्हा-बेलवा, मालदा -कलकतिया,सिन्दुरिया आ कृष्न्भोग आम, बस इये समझू अपने के कविता पढी क मन तृप्त भेल !!

    http://maithilaurmithila.blogspot.com/


    उम्मीद अछि अपने'क अगला कविता जल्दिये पढ़ई लय मिलत !!

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  5. ajay ji Ahan ke likhal kabita gaama ghar ke yad bhoot nik dilabaiya , hamr Apan Aai apan gramin jiwan ke bital kahani yada Aabait Achhi
    Aasha Achhi bahoot our kichhu yad dilabai ke lela ,

    bahoot- bahoo dhany wad Achhi
    gam ghar ke yad dilaabai ke lela

    jay maithil , jay mithla

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  6. आत्मासँ हृदयसँ लिखल एहि ब्लॉगक सभ पद्य हृदयकेँ छुबैत अछि।

    গজেন্দ্র ঠাকুব

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  7. सोन्हा-बेलवा, मालदा -कलकतिया,
    सिन्दुरिया आ कृष्न्भोग,
    कीछ सुखायल , किछ मुर्झायल,
    सब गाछ में लागल रोग॥

    हमरा मोन ऐच्छ नीक जकाँ,
    आम गाछ मजरल जहाँ,
    पटिया गेरुआ ल सब भागल गाछी ,
    गाम पर रुकल कियो कहाँ ॥

    फेर त कियो टिकुला बीछैत,
    कियो जोगाड़ में गोपी के,
    आन्हर बीहैएर में कियो गमछा भैरेय,
    कियऊ मोटरी बनाबे धोती के॥

    खट्टा चटनी कुच्चा अचार,
    त कियो बेहाल ऐच्छ अम्मत्त में,
    आब त गाछी सुनसान पडल ऐच्छ,
    जेना ठाढ़ छी मरघट में...
    ati sundar

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  8. wah ki likhlath.
    Bahut bahut dhanyabad.

    Ratish

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मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

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