चौमासा
~~~~~~अषाढ़ हे सखी मेघ गरजय
वर्षा झहरय जोड़ हे
कंत मोरा भेल विदेशिया
लागि रहल बर डर हे ।
सौन हे सखी पछबा सिहकल
घन घटा घनघोर हे
मयुर नाचय मेघ देखितहि
चारूभर भेल शोर हे ।
भादव हे सखी ठनका ठनकय
बिजली चमकय चहुओर हे
मदन मन तन विरह वेदन
टूटय पोरे पोर हे ।
आसिन हे सखी आश राखल
औता पिया आब मोर हे
भेल कोजगरा चान पूनम
चकोर मणि गठजोर हे ।।
- मणिकांत झा दरभंगा
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