सौजनियां (बिहनि कथा) - वी०सी०झा"बमबम"

छोटकन'क दलान पर आय बेस सगर गामक प्रबुद्ध लोक'क जमघट लागल छैइक ! सब अपन - अपन व्यकतव्य प्रस्तूत कऽ रहल छथि !

बता दी जे ओ सब छोटकन केर बाबू के सराध'क भोजक समीक्षा करवाक ले उपस्थि भेल छथिन ! आ कहब जे ओ सब ओना अपनहि मोन संऽ आयल छथि सेहो नहि , रमफलवा सब कैंऽ भोरे - भोर एहि लेल आमंत्रन दय आयल छलैक !

रघूनाथ बाबू :- छोटकन तोहर कि इच्छा छऽ से निधोक भऽ बाजऽ तोरा जतेक ओकादि हुअ ओहि हिसाब संऽ - - - -!

छोटकन :- हम पैंतालिस घर पूरा आ साठि घर मे टिप - टापि कऽ करब आ उत्तरवाई टोल मे जे हित अपेक्षित हुनका लय कऽ करब !

सुभंकर बाबू :- बेस तखन तऽ छोटकन केर गप सब बुझिए गेल हेबैक ? आब हमर गप जॉउ मानथि तऽ हम कहबैन हिनका साठि घर मे पाँचे - दस घर छूटि जेतैन ओकरा लऽ लैथ ! क यउ किछु बेजाय कहलिएन कि ?
छोटकन :- ठीक छैइक !

ताहि पर बलदेव बाबू अपना बात पर वल दैइत बजलाह हउ जी तखन उत्तरवाई टोल किआक छोड़ि देतैक हम कहबैन जे ओकरहु समेट लौथ तखन अप्पन जहने इच्छा होन्हि !

छोटकन :- चलू ठीक छैइक !

चतूरानंद बाबू :- ऐंऽ हउ जखन एतेक करिते छऽ तखन हम कहबऽ जे सउजनियां किआक ने कऽ लेबऽ से कने कऽ तऽ ?

छोटकनक मोन कने झूलसि गेलय एहि बेर !

कि बौकु बाबू बाजि उठला तों चिन्ता किआक करैत छऽ पाय - कउरी'क खगता जे हुऽ से तों जगदीश बाबू संऽ लऽ सकैत छऽ ?

कि जगदीश बाबू बोगली मे हाथ दइत :- तोरा कतेक पाय केर खगता छऽ से बाजह ? पाय'क कारण ककरहु काज रुकल रहतैक कि जाधारि हम रह जिव !

आब तऽ बुझिते हेबैक कोन चक्रब्यूह रचल गेलय से ! हिनाका लोकनिक सम्पूर्ण गाम मे इहए प्रस्ताव रहैत छैन ! सम्पूर्ण गामक लोक हिनके सब सनक स्वार्थि केर बजबैत अछि बैसार मे !


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