मैयाक गीत @ जगदानन्द झा 'मनु',


ई जे साँझ परलै मैया
की हमरे जीवनमे
मुनल आँखि तकबै कहिया
हमरो जीवनमे।।

सगर दुनियाँकेँ चिलका
माएक आँचर तर
हम अभागल कोना
भटकै छी दर-दर।।

घुरि, बुझि आबो आबू
'मनु' अबुद्धि नेना
अपन सिनेहसँ
किएक बिसरलहुँ ऐना।। 



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