गजल@प्रभात राय भट्ट
गजल
सावन भादव
कमला कोशी जवान भSगेलै
कमला कोशी
मारैय हिलोर तूफान भSगेलै
कोशी केर कमला
सेहो पैंच दैछई पईन
कोशीक बहाब सं
मिथिला में डूबान भSगेलै
कोशी के
जुवानी उठलै प्रलयंकारी उन्माद
दहिगेलै
वलिनाली बर्बाद किसान भSगेलै
गिरलै महल
अटारी आओर कोठी भखारी
खेत बारी घर
घर घरारी सभ धसान भSगेलै
निरीह अछि
मिथिलावासी के सुनत पुकार
खेतक अन्न घरक
धन अवसान भSगेलै
कोशिक कहर नहि जानी की गाम की शहर
कोशिक कहर नहि जानी की गाम की शहर
घुईट घुईट
जहर सभ हैरान भSगेलै
खेत में
झुलैत हरियर धान बारीमे पान
दाहर में
डुबिक नगरी समसान भSगेलै
भूखल देह सुखल "प्रभात" मचान भSगेलै
भूखल देह सुखल "प्रभात" मचान भSगेलै
कोशिक प्रकोप
सं मिथिला परेशान भSगेलै
...........वर्ण-१७..............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
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