गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

राईत दिन हम अहींक सुरता पिया कएने छि
दूर रहिक हमरा सं हमरा किया सतएने छि

कमला कोशी लेलक उफान मारैय हमर जान
बनी कें अन्जान पिया हमर जिया तरसएने छि

प्रेम परिणय आलिंगन लेल जी हमर तरसैय
प्रेम मिलन ओ मधुर इआद सं हिया जुडएने छि

दिन गनैत बितैय दिन कोना जियव अहाँ विन
दिल के दिया में नोरक तेल सं दिया जरएने छि

सजी देखैछि ऐना सावन भादव बरसैय नैना
अहाँ विन जागी जागी "प्रभात"रतिया वितएने छि
................वर्ण-१९..................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

2 टिप्पणियाँ

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  1. बहुत सुन्दर भावार्थ इन पक्तियों में छिपा हुआ है!
    बहुत प्यारी रचना.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर भावार्थ इन पक्तियों में छिपा हुआ है!
    बहुत प्यारी रचना.

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