कोना कऽ रंगलक करेज केँ इ रंगरेज, रंग छूटै नै।
नैन पियासल छोडि गेल, मुदा आस मिलनक टूटै नै।
हमरा छोडि तडपैत पिया अपने जा बसला मोरंग,
बूझथि विरहक नै मोल, भाग्य इ ककरो एना फूटै नै।
मिथिला - संस्कृतिक महान पाबैन थिक -मधुश्रावणी, जे साओन मासक कृष्ण - पक्षक पंचमीसँ प्रा…
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