एतऽ माथ चकराइए चलू घुरि चली
तनोसँ तन छुबाइए चलू घुरि चली
कियो ककरो नहि देखैए ऐ समाजमे
मोने मन झगड़ाइए चलू घुरि चली
गोर मौगी गौरवे आन्हर भेलि अड़ल
करिया बाट बुझाइए चलू घुरि चली
कोन उपाए लगाबी तौड़ैले ऐ फानीकेँ
टूटि मन जे कनाइए चलू घुरि चली
करब नै कोनो आस ऐ समाजसँ हम
उमेश जँ घुरियाइए चलू घुरि चली
तनोसँ तन छुबाइए चलू घुरि चली
कियो ककरो नहि देखैए ऐ समाजमे
मोने मन झगड़ाइए चलू घुरि चली
गोर मौगी गौरवे आन्हर भेलि अड़ल
करिया बाट बुझाइए चलू घुरि चली
कोन उपाए लगाबी तौड़ैले ऐ फानीकेँ
टूटि मन जे कनाइए चलू घुरि चली
करब नै कोनो आस ऐ समाजसँ हम
उमेश जँ घुरियाइए चलू घुरि चली
sundar rachna
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