मैथिलीक पुरोधा जयकान्त मिश्र (1922-2009) क 3 फरबरी 2009 केँ सात बजे साँझमे निधन भ' गेलन्हि।
मैथिली साहित्यक एकटा बड़ पैघ विद्वान डॉ. जयकांत मिश्र 1982 ई. मे इलाहाबाद विश्वविद्यालयक अंग्रेजी आ आधुनिक यूरोपियन भाषा विभागक प्रोफेसर आ हेड पद सँ सेवा निवृत्त भेल छलाह। तकरा बाद ओ चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालयमे भाषा आ समाज विज्ञानक डीन रूपमे कार्य कएलन्हि।
स्व. मिश्र अखिल भारतीय मैथिली साहित्य समिति, इलाहाबादक अध्यक्ष, गंगानाथ रिसर्च इंस्टीट्यूट, इलाहाबादक अवैतनिक सचिव आ सम्पादक, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयागक प्रबन्ध विभागक संयोजक आ साहित्य अकादमी, नई दिल्लीक मैथिली प्रतिनिधि आ भाषा सम्पादक रहल छलाह।
मैथिली साहित्यक इतिहास, फोक लिटेरेचर ऑफ मिथिला, कीर्तनिया ड्रामा सभक क्रिटिकल एडीशन, लेक्चर्स ऑन थॉमस हार्डी, लेक्चर्स ऑन फोर पोएट्स आ द कॉम्प्लेक्स स्टाइल इन एंगलिश पोएट्री हिनक लिखित किछु ग्रंथ अछि। साहित्य अकादेमी भाषा सम्मान २०००- डॉ. जयकान्त मिश्र (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
हिनकर वृहत मैथिली शब्द कोष मात्र दू खण्ड प्रकाशित भए सकल, जाहिमे देवनागरीक संग मिथिलाक्षर आ फोनेटिक अंग्रेजीमे सेहो मैथिली शब्दक नाम रहए। ई दुनू खण्ड मैथिली शब्दकोष संकलक लोकनिक लेल सर्वदा प्रेरणास्पद रहत।
विदेह डाटाबेस आधार पर सोलह खण्डमे गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा आ पञ्जीकार विद्यानन्द झाक मैथिली अंग्रेजी शब्दकोष जाहिमे मिथिलाक्षर आ अंतर्राष्ट्रीय फोनेटिक रोमन आ देवनागरीमे शब्द आ शब्दार्थ देल गेल अछि प्रेसमे अछि आ एहि मासमे ओकर पहिल खण्ड प्रकाशित भए जाएत। ई पोथी जयकांत मिश्र, दीनबन्धुधु झा-गोविन्न्नद झा, भवनाथ मिश्र-मतिनाथ मिश्र मतंग आ जुगलकिशोर मिश्रकेँ समर्पित कएल जा रहल अछि।
स्व. जयकांत मिश्रकेँ मैथिल आर मिथिला परिवार दिससँ श्रद्धांजलि।
एहि घटनापर मैथिली भाषा-साहित्यक प्रसिद्ध समीक्षक प्रोफेसर डॉ. प्रेमशंकर सिंह जीक उद्गार-
" डॉ. जयकांत मिश्रक मृत्यु मैथिलीक लेल एकटा अपूरणीय क्षति अछि। मैथिलीक लेल हिनकर सेवाक कोनो जोड़ नहि अछि, ग्रियर्सनक बाद ई एकमात्र एहन मैथिली प्रेमी रहथि जे मैथिलीकेँ विश्व-स्तर तक अनलन्हि आ विश्वक सोझाँ अनलन्हि।"
एहि घटनापर मैथिली भाषा-साहित्यक प्रसिद्ध कवि-कथाकार डॉ. गंगेश गुंजन जीक उद्गार-
"जयकांत बाबूक निधन बहुत सांघातिक सूचना। समस्त मैथिल, मिथिला आ मिथिलांचल लेल। किछु कहल सम्भव नहि भ' रहल अछि....।"

मैथिली साहित्यक एकटा बड़ पैघ विद्वान डॉ. जयकांत मिश्र 1982 ई. मे इलाहाबाद विश्वविद्यालयक अंग्रेजी आ आधुनिक यूरोपियन भाषा विभागक प्रोफेसर आ हेड पद सँ सेवा निवृत्त भेल छलाह। तकरा बाद ओ चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालयमे भाषा आ समाज विज्ञानक डीन रूपमे कार्य कएलन्हि।
स्व. मिश्र अखिल भारतीय मैथिली साहित्य समिति, इलाहाबादक अध्यक्ष, गंगानाथ रिसर्च इंस्टीट्यूट, इलाहाबादक अवैतनिक सचिव आ सम्पादक, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयागक प्रबन्ध विभागक संयोजक आ साहित्य अकादमी, नई दिल्लीक मैथिली प्रतिनिधि आ भाषा सम्पादक रहल छलाह।
मैथिली साहित्यक इतिहास, फोक लिटेरेचर ऑफ मिथिला, कीर्तनिया ड्रामा सभक क्रिटिकल एडीशन, लेक्चर्स ऑन थॉमस हार्डी, लेक्चर्स ऑन फोर पोएट्स आ द कॉम्प्लेक्स स्टाइल इन एंगलिश पोएट्री हिनक लिखित किछु ग्रंथ अछि। साहित्य अकादेमी भाषा सम्मान २०००- डॉ. जयकान्त मिश्र (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
हिनकर वृहत मैथिली शब्द कोष मात्र दू खण्ड प्रकाशित भए सकल, जाहिमे देवनागरीक संग मिथिलाक्षर आ फोनेटिक अंग्रेजीमे सेहो मैथिली शब्दक नाम रहए। ई दुनू खण्ड मैथिली शब्दकोष संकलक लोकनिक लेल सर्वदा प्रेरणास्पद रहत।
विदेह डाटाबेस आधार पर सोलह खण्डमे गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा आ पञ्जीकार विद्यानन्द झाक मैथिली अंग्रेजी शब्दकोष जाहिमे मिथिलाक्षर आ अंतर्राष्ट्रीय फोनेटिक रोमन आ देवनागरीमे शब्द आ शब्दार्थ देल गेल अछि प्रेसमे अछि आ एहि मासमे ओकर पहिल खण्ड प्रकाशित भए जाएत। ई पोथी जयकांत मिश्र, दीनबन्धुधु झा-गोविन्न्नद झा, भवनाथ मिश्र-मतिनाथ मिश्र मतंग आ जुगलकिशोर मिश्रकेँ समर्पित कएल जा रहल अछि।
स्व. जयकांत मिश्रकेँ मैथिल आर मिथिला परिवार दिससँ श्रद्धांजलि।
एहि घटनापर मैथिली भाषा-साहित्यक प्रसिद्ध समीक्षक प्रोफेसर डॉ. प्रेमशंकर सिंह जीक उद्गार-
" डॉ. जयकांत मिश्रक मृत्यु मैथिलीक लेल एकटा अपूरणीय क्षति अछि। मैथिलीक लेल हिनकर सेवाक कोनो जोड़ नहि अछि, ग्रियर्सनक बाद ई एकमात्र एहन मैथिली प्रेमी रहथि जे मैथिलीकेँ विश्व-स्तर तक अनलन्हि आ विश्वक सोझाँ अनलन्हि।"
एहि घटनापर मैथिली भाषा-साहित्यक प्रसिद्ध कवि-कथाकार डॉ. गंगेश गुंजन जीक उद्गार-
"जयकांत बाबूक निधन बहुत सांघातिक सूचना। समस्त मैथिल, मिथिला आ मिथिलांचल लेल। किछु कहल सम्भव नहि भ' रहल अछि....।"

हुनका हमर भावान्वित श्रद्धांजलि ....
जवाब देंहटाएंanhak Jaykantbabuk vishay me del samagree mahatwapurn achhi
जवाब देंहटाएंMaithilik je sthan aai chhaik ohik mahan karan Jaykantbabu chhalah.
Hunak antim eechha Mithila Rajya lel ham sabh kaj karr saih shraddhanjali hoyat. Mrityuk kichhu ghanta purva,
O kena Mithilak paigh nakshabala poster(manikantji,USAk likhal) aa Maithilee Sandesh neeharait rahlah, se hamra sadaib yad rahat.
Puran peerhi kramashah ja rahal achhi; hamhu sabh jayab, yuva sthan lethi je sarvgunsamapanna Mithilak thati chhathi..yaih hoyat Jaykantbabusan apratim sanskritiyoddhak prati shraddhanjalai.
Dhanakar Thakur
jaykant mishrak krititva sarvada hamra loknik lel prernaspad rahat.
जवाब देंहटाएंjaykant jik apne se mithuilaksharak metal fontk nirmanak dekhrekh aa koshak nirman ke bisari sakat.
जवाब देंहटाएंhunkar maithili sahitya/bhashak itihas sreesh jik maithili bhasha/sahityak itihasak sang ekta aviasmaraniya kriti achhi, hunkar shabdkosh jahi lagan se banal takar smaran sphoorti dait achhi.
जवाब देंहटाएंjaykant mishra ji ke hamro dis se shradhanjali
जवाब देंहटाएंmaithil aa maithilik sthan vishva me sthapit kayne chhathi oo, thike kahlanhi premshankar singh, gutbaj sabh sikhathu hunka se.
जवाब देंहटाएंjaykant mishra jik nidhan ke maithil lokani positive roop me lay bhaasha, samskriti ke akshunn rakhbak lel aagoo aabathu, ekjut hothu.
जवाब देंहटाएंjaykant ji ke shat shat naman
जवाब देंहटाएंenglish madhyam se maithili samskriti ke maithili bhasha ke je aago badhelanhi ohi me jaykant mishra jik nam agrani achi
जवाब देंहटाएंहुनका हमर भावान्वित श्रद्धांजलि! मिथिला'क धरती से एक ता और सपूत गोधाम के गेलं|इश्वर उनका आत्मा के शांति प्रदान करूँ
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि ------ हुनका इश्वर आत्मा के शांति प्रदान करूँ
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंA man is mortal.Ideas are not. A man can be killed,buried or forgotten but an idea lasts for eternity.But,what of those who love the man and not the idea..
जवाब देंहटाएंIt is not the idea that I will miss.I will miss the man.
जयकान्तजिके हमर हार्दिक श्रद्धांजलि.......:(
जवाब देंहटाएंhumra hisab s e maithi vibhuti ka sthan nay bharal ja sakiya chhain
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंडा. जयकान्त मिश्रजीक निधन मैथिली साहित्यक एकटा अपूरणीय क्षति अछि ।
जवाब देंहटाएंBhai ji kaka's death was a very big loss to the family , Mithila and Maithils !!! His good work and dedication to the society is going to be remembered always and forever !!!!
जवाब देंहटाएंMay God rest him in peace !!!
Vidya Mishra ( USA )
जयकांत जीक मृत्यु एकटा पोथीक अंत अछि, अध्यायक नहि, ओ मैथिलीक वेद छलाह, ई उद्गार गंगेश गुंजन जीक छन्हि। धनाकर ठाकुर जी ठीक्वे कहलन्हि जे मिथिला राज्य हुनका लेल श्रद्धांजलि होएतन्हि। मुदा ताहिसँ पहिने हमरा मिथिलामे प्रारम्भिक शिक्षा मैथिलीमे शुरू करेबाक बेशी बेगरता बुझाइत अछि। सभ जाति समुदायकेँ मैथिलीक प्रति अनुराग उत्पन्न करेबाक सेहो बेगरता बुझाइत अछि, जनसंख्यामे नाम भने आबि गेल होए मुदा यावत मैथिलीक संस्था सभ एहि दिशामे यावत काज नहि करत तावत मोनपर बान्हल जंजीर नहि खुजत।
जवाब देंहटाएंविद्याजी ई क्षति अहाँक परिवारक लेल भावनात्मक अछि, समस्त मैथिल आ मिथिलाक लोकक लेल हुनकर डेडीकेशन आ कार्य प्रेरणास्पद बनल रहत।
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